प्यार अंधा होता है.. यह बात सदियों से कही जाती रही है, लेकिन जरा रुकिए! क्या वाकई कोई प्यार में अंधा हो सकता है! वह भी ऐसे समय में, जब इस प्यार के न जाने कितने 'साइड इफेक्ट' देखने-सुनने को मिल रहे हैं। इसलिए थोड़ा स्मार्ट बनें, प्यार में दिल हारें, दिमाग नहीं। चलें, प्यार के इस दूसरे पहलू पर भी थोड़ा सोचें..
वर्षीय हर्षिता अपनी पहली डेट के अनुभव बता रही हैं। छह महीने पहले उनके एक हैंडसम बैचमेट ने उनके साथ कॉफी पीने का आग्रह किया तो वह थोड़ा हिचकिचाई। फिर सोचा इतने दिनों से तो जानती हैं, साथ में कॉफी पी लेंगी तो क्या हो जाएगा। वह कहती हैं, रोनित अच्छा भी लगता था मुझे, लेकिन अच्छा दिखने और अच्छा होने में फर्क है। उसने कुछ इधर-उधर की बातें की और फिर बोला, क्या तुम इससे पहले किसी रिलेशनशिप में रही हो.?
मैं चौंक गई, ..इससे पहले! क्या मतलब है तुम्हारा? क्या मैं तुम्हारे साथ रिलेशनशिप में हूं?
जाहिर है मेरी बात रोनित के मैन ईगो को हर्ट कर गई। पता नहीं क्यों उसकी यह जल्दबाजी मुझे अच्छी नहीं लगी और उससे एक सामान्य दोस्ती भी इसके बाद नहीं रह पाई। कोई भी रिश्ता एक दिन में नहीं बनता। यह फास्ट फूड नहीं है कि झटपट तैयार किया, बन गया और खा लिया। रिश्ता एकतरफा नहीं होता। जब तक आप दूसरे के प्रति आश्वस्त नहीं हैं, तब तक कैसे मान सकते हैं कि सामने वाला आपके प्रेम में है। हर्षिता की तारीफ करनी चाहिए कि वह स्पष्ट ढंग से रोनित को यह समझा पाने में कामयाब रही कि किसी के साथ एक बार कॉफी पी लेने भर से लव अफेयर नहीं शुरू हो जाता। लड़के-लड़की के बीच स्वस्थ मित्रता भी हो सकती है।
आख-कान खुले रखें
ब्लाइंड लव जैसी कोई चीज दुनिया में नहीं होती। प्रेम में भरोसा जरूरी है, लेकिन भरोसे का महल एक दिन में नहीं खड़ा होता। यह रोजमर्रा के व्यवहार की बुनियाद पर बनता है। इसलिए व्यावहारिक होना जरूरी है। छोटी सी भी गलती पछताने का सबब बन सकती है। इसलिए कुछ बातें समझनी जरूरी हैं
- प्रेम का पौधा मुश्किल से पनपता है। पौधे के लिए पहले बीज बोना पड़ता है, खाद-पानी और देखभाल के बाद यह बढ़ता है। फिर भी यह गारंटी नहीं होती कि कोई आधी उसे उड़ा नहीं देगी, लेकिन इसके सर्वाइवल के अवसर जरूर बढ़ जाते हैं। इसी तरह प्रेम को पनपने व बढ़ने के लिए भी पूरा समय व देखरेख चाहिए।
- दूसरे से अधिक प्रभावित होने से कई बार नुकसान होता है। इसलिए खुद को भी महत्व दें और
सामने वाले को खुद पर हावी न होने दें। शुरुआत में दोनों पक्ष एक-दूसरे को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। दूसरा खुद को कैसे प्रस्तुत कर रहा है, इससे उसके बारे में राय बनाने में अपनी बुद्धि पर यकीन रखें।
- प्यार में पड़ने की जल्दबाजी ठीक नहीं। मेरी उम्र के सारे लोग प्रेम में हैं, मुझमें क्या बुराई है जो मुझे कोई प्यार नहीं करता। मुझे कोई प्रपोज क्यों नहीं करता.., यह सोचकर किसी से भी प्यार कर लेना बेवकूफी है। सही समय के लिए इंतजार किया जाना चाहिए।
- पैसे से प्यार नहीं खरीदा जा सकता। प्यार की अभिव्यक्ति के लिए उपहारों का आदान-प्रदान अच्छी बात है, लेकिन प्रेम किसी भौतिक वस्तु का मोहताज नहीं है। इसलिए प्यार को कभी गिफ्ट्स से न तोलें।
- अपने मन की ही नहीं, शरीर की भी सुरक्षा करें। क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में 15 से 19 वर्ष की उम्र के तीन मिलियन से ज्यादा टीनएजर्स एसटीआई से ग्रस्त हैं? यह रिपोर्ट सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की है। रिश्ता कितना भी गहरा हो, अपनी सीमाएं न भूलें। शरीर व जिंदगी की कीमत पर कोई समझौता न करें।
- दूसरे को अपनी उदारता या विनम्रता का फायदा न उठाने दें। अगर वह सचमुच प्रेम करता है तो आपकी भावनाओं का सम्मान भी करेगा। ऐसा नहीं करता तो अपने रिश्ते पर पुनर्विचार कर लें।
- यदि प्रेम में मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना मिल रही हो तो ऐसे रिश्ते से जितनी जल्दी हो, बाहर निकलें। यही आपके लिए बेहतर होगा।
- प्रेम आसान नहीं है। यह तलवार की धार पर चलने जैसा है। मुश्किलों से जूझने के लिए तैयार रहें। याद रखें, प्रेम सीखने की एक प्रक्रिया है और यह प्रक्रिया उम्र भर चलती है।
सब कुछ न्यौछावर
करने के दिन गए
पूजा बेदी
प्यार में दिमाग खोने से नुकसान हो सकता है। मैंने अपने अनुभवों व काउंसलिंग के दौरान यह सीखा है कि रिश्ते में दिल खोना तो जरूरी है, लेकिन दिमाग खोकर कई बार आप अपनी शख्सियत खो देते हैं। हर रिश्ते में स्मार्ट हैंडलिंग आवश्यक है, जो दिमाग से ही हो सकती है। अपना सब कुछ न्यौछावर करने के जमाने अब नहीं रहे। समय-समय पर रिश्तों व स्थितियों का आकलन करना जरूरी है। प्यार में दिमाग खोने से धोखे की आशका बढ़ जाती है। दिल सपनों की दुनिया में ले जाता है और दिमाग असलियत के करीब रखता है।
जरूरी है आत्म-अनुशासन
मनोवैज्ञानिक सलाहकार पूनम कामदार कहती हैं, टीनएज में आकर्षण सहज है। कई बार आकर्षण बढ़कर प्यार में भी बदल जाता है। बेहतर यह है कि इस आकर्षण को प्यार में बदलने की जल्दी न करें। यूं भी हमारे आसपास ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं जो किसी को डराने के लिए काफी हैं। इसलिए किसी से एकात में मिलने के बजाय दोस्तों के साथ ही मिलें-जुलें। इससे दो फायदे होंगे। सुरक्षा की गारंटी होगी, दूसरा अगर कोई भावनाओं में बहने की भूल करे तो दोस्त उस पर नियंत्रण भी रख सकेंगे। इसलिए अच्छे दोस्त बनाएं, जो सही-गलत के बारे में बता सकें। टीनएज में मौज-मस्ती ठीक है, लेकिन यही उम्र पढ़ाई व कॅरियर बनाने के लिए भी है। अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता को न भूलें। व्यस्त रहें, ताकि दूसरी ओर ध्यान कम जाए।
मोबाइल फोन के क्या-क्या प्रयोग हो रहे हैं, इसके बारे में टीनएजर्स अच्छी तरह जानते हैं। खुद को सजग-सचेत रखेंगे तो बुरी स्थितियों से बच सकेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि माता-पिता से कभी कुछ न छिपाएं। कोई गलती हो भी जाए तो माता-पिता से अवश्य बताएं। संभव है, आपको डाट मिले, लेकिन याद रखें कि वे आपकी भलाई ही चाहते हैं।
प्रेम: संयम जरूरी है
प्रेम करना और उसको परणिति देना निश्चित तौर पर प्यार करने वालों का नितांत निजी फैसला है, पर उसके असंयमित होने का दुष्परिणाम निजी नहीं रह जाता..। थोड़ी भावनात्मक बुद्घि, थोड़ा अनुशासन और थोड़ा आत्मसमान प्रेम की गरिमा को बढ़ा देता है। ध्यान दीजिये इन बातों का भी..
- प्यार का वास्तविक स्वरूप समझें। खुद को संयत रखें और जल्दबाजी न करें।
- प्रेम की अभिव्यक्ति अनैतिक शारीरिक संबंधों के रूप में न करें..। स्वयं को रिश्ते में बांधिये फिर अतरंग हों।
- 'सच्चा प्यार' व्यक्तित्व में ठहराव लाता है.. यदि आपका साथी आपको जल्दी 'क्लोज' होने का दबाव डालता है तो यकीनन उसमें परिपक्वता की कमी है.. रूकिये.. सोचिये फिर आगे बढि़ए।
- देर रात तक घूमना, उत्तेजक कपड़े, बेवजह की आपसी छेड़छाड़ अप्रिय और आपराधिक स्थितियां पैदा करती है.. इनसे बचें।
- आपस में मजबूत मानसिक और भावनात्मक संबंधों को प्राथमिकता दें।
- अपने रिश्तों को परिवार से अवगत करायें। यदि परिवार विरोध करता है तो विश्लेषण जरूर करें।
- रिलेशनशिप से पहले 'सेक्सुअली एजुकेट' हों.. साथ ही आपस में मिलने की समय सीमा तय करें।
- प्यार को जीवन का 'अंग' बनाएं न कि 'धुरी'..।
- भद्दे मजाक, द्विअर्थी बाजे, गंदे एसएमएस व गंदी ब्लॉगिंग से दूर रहें।
- अपने पुरुष साथी का बैक ग्राउंड पता करें।
'प्यार खुशबू हो न कि फांस' ध्यान रखिये।
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